नव संवत्सर का स्वागत ठुमरी व वेद घोष से
जयपुर। शास्त्रीय संगीत की विभूति पद्म विभूषण पण्डित छन्नू लाल द्वारा वेद घोष और श्री दीपन पाण्डे के शंखवादन से नव संवत्सर की सुबह गुलज़ार हो उठी। धरती पर टपकती सूरज की प्रखर रश्मियोें के बीच संगीत के शीतल निर्झर ने नव संवत्सर का स्वागत किया।
यह अवसर था राजस्थान संस्कृत अकादमी और राजस्थान संस्कृत संसद के संयुक्त तत्वावधान में सेन्ट्रल पार्क में नव संवत्सर के शुभ अवसर पर सुरों से संगीत रसिकों के साथ मिलकर गुलाबी नगरवासियों के स्वागत का। कार्यक्रम में पद्म भूषण पं. छन्नू लाल ने अपनी दिलकश आवाज में वेद घोष कर स्वरों की वर्षा की। उन्होंने ठुमरी-आजा सांवरिया से कार्यक्रम की शुरूआत की। पं. मिश्र ने विशेष तौर पर देवी स्तुति, राग भैरव में भवानी दयानी, कबीर दास की रचना, कैसे सज्जन घर जायेबे, राग बरसन लगी बदरियां (सोहराग) और बनारस की विशेष शिव होली रचनाओं से संगीत रसिकाें को मंत्रमुग्ध कर दिया।कार्यक्रम में दरभंगा (बिहार) से आए श्री दीपन पाण्डे ने नव संवत्सर का स्वागत शंखनाद से किया। इससे पहले वेद विद्यार्थियों द्वारा देवघोष से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ।
कार्यक्रम में राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डा. जया दवे ने अतिथियों का स्वागत किया। प्रतीक चिन्ह संस्कृत संसद के महामंत्री जे. एन. विजय ने दिए। इस अवसर पर सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री डा. अरूण चतुर्वेदी, सम्भागीय आयुक्त, राजेश्वर सिंह, सचिव मुख्यमंत्री, अभाव अभियोग निराकरण डॉ. के.के. पाठक, संयुक्त निदेशक पर्यटन राजेश शर्मा, समाजसेवी पं. सुरेश मिश्रा तथा अकादमी के निदेशक डा. जे. एन. विजय सहित बड़ी संख्या श्रोता उपस्थित थे।