बाप रे बाप : समाज के गिरेबान में झांकता एक नाटक

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राज रंगम समारोह में हास्य—व्यंग से भरपूर प्ले की 23वीं प्रस्तुति का लुत्फ उठाया जयपुरराइट्स ने

जयपुर। रवीन्द्र मंच पर आयोजित हो रहे राज रंगम महोत्सव के दौरान शुक्रवार को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित लेखक स्वर्गीय केपी सक्सैना द्वारा लिखित फेमस कॉमेडी प्ले बाप—रे—बाप का मंचन किया गया। जयपुरराइट्स ने जयपुर के जाने माने थियेटर डायरेक्टर दिनेश प्रधान द्वारा निर्देशित हास्य और व्यंग से भरपूर इस प्ले बाप—रे—बाप का जमकर लुत्फ उठाया।
आपको बता दे कि यह इस प्ले की 23वीं प्रस्तुति थी। अब प्ले की अगर बात करें तो आमतौर पर देखा गया है कि बच्चों को तो घर छोडकर भागते सुना है लेकिन इस प्ले में तो घर मा मुखिया बाप ही बच्चों के व्यवहार से दुखी होकर घर छोडकर भाग गया है। असली धमाल भी वहीं से ही शुरू होता है। वो बेटे का दुख, बहु की लापरवाही, समाज के तंज और ना जाने क्या—क्या? एकदम कसी हुई कहानी में दर्शकों के ठहाके बंद होने का नाम नही ले रहे थे। प्रस्तुत नाटक में बाप के भाग जाने या खो जाने के बहाने से उन ” ऊंचे लोगों ” पर भी हास्य-व्यंग्य के दो-दो छींटे डाले गए हैं , जहां घर के आधुनिक माहौल में पुरानी परंपरागत मान्यताओं वाले बाप का दर्ज़ा घर के किसी पुराने बर्तन से ज़्यादा नहीं है।
रंगशीर्ष आर्ट एंड कल्चर रिसर्च सोसायटी की इस प्रस्तुति में धीरज भटनागर, चयनिका माथुर , दीपक शर्मा , विनोद जोशी, अमित​ शर्मा ओ​टीएस, मुकेश सिंह, संजय मीणा, रेणु सनाढ्य, संजय सोयल, सर्वेश व्यास और लव सोनी ने अपने अभिनय का लोहा मनवाया । नाटक में संगीत चंचल शर्मा ने दिया जबकि प्रस्तुति नियंत्रक अनिता प्रधान थी।फोटो : हिमांशु आत्रे

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